जाको प्रिय न राम बैदेही
ताजिये तासु कोटि बैरी सम यद्यपि परम स्नेही
ताजिये तासु कोटि बैरी सम यद्यपि परम स्नेही
हे शिव नंदन गजानन प्रभुजी I
थारी मैं पूजा करूँ किस बिद्ध जी I I
दूब चढाऊँ थारै , पुष्प चढाऊँ ,
मौदक भोग लगाऊं , म्हारा प्रभुजी I
कुमकुम - अबीर , गुलाल चधाऊँ ,
चन्दन -कस्तूरी , थारै तिलक लगाऊं I
छप्पन भोग , छत्तीसूं ब्यंजन ,
लड्डूअन भोग , लगाओ प्रभुजी I
शक्ति का प्यारा , शंकर दुलारा ,
किस बिद्ध थारी म्हे, आरती उताराँ I
तुम हो दयालु , बड़े ही कृपालु ,
निर्गुण को गुणी बनाओ म्हारा प्रभुजी I
कारज सारो म्हारा , विघ्न हटाओ ,
रिद्ध - सिद्ध संग पधारो म्हारा प्रभुजी I
बुद्धि के दाता , भाग्य विधाता ,
जीवन म्हारो , सुधारो म्हारा प्रभुजी I
लक्ष्मी नारायण ,थारो गुण गावै ,
रण थम्भोर सूं, पधारो म्हारा प्रभुजी I
रचनाकार ----लक्ष्मीनारायण जोशी दिनांक ०७.१०.१० सुबह ५ बजे